भिल राजे है हम,आदिवासी है हम
हम ना किसी को डरते है
गर्व से जय एकलव्य बोल के प्रणाम करते है
जल,जंगल,जमीन हमारी
हम तो है प्रकृती के पुजारी
प्यारभरी दुनिया है हमारी
देख रही है दुनिया सारी
सदियो साल पाहिले से हम जंगल मे रहाते है
गर्व से जय एकलव्य बोल के प्रणाम करते है
हम है भोले सीदे सादे
नाही करते झुटे वादे
जंगल मे रहेकर भी हम
रखते है बडे इरादे
सच्चाईची की हम तो हमेशा कदर करते है
गर्व से जय एकलव्य बोल के प्रणाम करते है
एकलव्या तेरा अंगुठा
झुटे आरमानोने छाटा
अब ना होगा फिर ऐसा
जाग गया है भिल का बेटा
एकलव्य को हम तो हमेशा दिल मी रखते है
गर्व से जय एकलव्य बोल के प्रणाम करते है
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